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विकास हो रहा है पर नुकसान हो रहा है
दर्द हो रहा है पर विकास भी तो हो रहा है
विकास के नाम पर अत्त्याचार हो रहा है
बचपन में हम जिन पेड़ो की छाव में चलकर बस स्टॉप तक जाते थे
आज उन्हें ही हमारी आँखों के सामने बड़े ही निर्मम तरीके से काट दिया जाता है
छाव में जिनकी राहगीर आराम फरमाता था
छाव में जिनकी मटका पानी में ठंडक पहुचता था
छाव में जिसकी राहगीर अपनी प्यास बुझाता था
उनका ही नामो निशान मिटा दिया जाता है
जिनको बड़ा होने में इतने साल लगे
पल भर में ही उन्हें काट दिया जाता है
हरीयाली को नष्ट कर सीमेंट और कंक्रीट का जंगल
खड़ा कर दिया जाता है
विकास हो रहा है पर नुकसान हो रहा है
दर्द हो रहा है पर विकास भी तो हो रहा है
आखिर कब समझेगे अपने जीवन में पेड़ो की महत्ता को
आखिर कब होंगे हम जागरूक
आओ मिलकर पेड़ लगाये
पर्यावरण को हरा भरा बनाये
(फरीदाबाद में चल रही मेट्रो परियोजना पर आधरित)
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